20 Apr 25
हर एक रात को महताब देखने के लिए,
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
ना पा सके
ना भूला सके
ना बता सके
ना जता सके
तू क्या है मेरे लिए
ना खुद समझ सके
ना तुझे समझा सके..!!
कहीं अबीर की ख़ुशबू कहीं गुलाल का रंग
कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग
चले भी आओ भुला कर सभी गिले शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का रंग
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